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भारतीय सांकेतिक भाषा को आधिकारिक मान्यता दे सरकार : वैभव कोठारी

सरकार से लाखों बहरे और गूंगे नागरिकों की बात सुनने का किया आह्वान राष्ट्र निर्माण में प्रभावी योगदान देने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा को सशक्त बनाएं

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 01:25 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 01:25 PM (IST)
भारतीय सांकेतिक भाषा को आधिकारिक मान्यता दे सरकार : वैभव कोठारी
भारतीय सांकेतिक भाषा को आधिकारिक मान्यता दे सरकार : वैभव कोठारी

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। 135 करोड़ घनी आबादी वाला देश भारतवर्ष, जिसमें 1.3 मिलियन से अधिक दिव्यांग नागरिक शामिल हैं। इन नागरिकों की सुविधार्थ केंद्र सरकार को भारतीय संविधान के तहत भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को 23वीं आधिकारिक भाषा बनाना चाहिए। कोलकाता के सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता संदीप भूतोरिया द्वारा आयोजित ‘विनिंग चैलेंज’ नामक वेबिनार में प्रधान अतिथि के तौर पर उपस्थित मूक और बधिर उद्यमी, इंजीनियर और प्रेरक वक्ता वैभव कोठारी ने वेबिनार में अपने विचारों का आदान-प्रदान करते समय यह बातें कही।

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उन्होंने इस वेबिनार के जरिये दुनिया के विभिन्न हिस्सों से जुड़नेवालों से संवाद करने के लिए इस सांकेतिक भाषा का ही इस्तेमाल किया। वेबिनार के दौरान संदीप भूतोरिया द्वारा वैभव से पूछे गये सवाल में कि आपको क्या लगता है, भारत की संविधान के तहत मौजूदा 22 अनुसूचित भाषाओं की सूची में भारतीय सांकेतिक भाषा को शामिल करने पर इस भाषा को कितना महत्व और बढ़ावा मिलेगा? वैभव ने इसके जवाब में भारतीय सांकेतिक भाषा को 23वीं आधिकारिक भाषा बनाने की अपील पर फिर से जोर दिया, वैभव ने सरकार से आह्वान किया कि सरकार अपने यहां रहनेवाले लाखों बहरे और गूंगे नागरिकों की बात सुने और उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने और राष्ट्र निर्माण में प्रभावी योगदान देने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देकर उन्हें सशक्त बनाए।

जिस तरह सरकार हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा को बढ़ावा देती है और उसे संरक्षित करने पर हमेशा जोर देती है, जो भारतीय संविधान के तहत 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है, इसी तरह से भारत में नव-विकसित भाषा जो भारतीय सांकेतिक भाषा (आइएसएल) है, इसे भी अनुसूचित भाषाओं की सूची में शामिल करने की अत्यंत आवश्यकता है। वैभव ने कहा कि यह भाषा गूंगे और बहरे लोगों को उच्च शिक्षा हांसिल करने और उनके लिए छूट गये अवसरों को फिर से हांसिल करने एवं श्रवण हानि से पीड़ित लाखों भारतीयों को सशक्त करेगा।

वैभव ने सांकेतिक भाषा का संज्ञान लेने के लिए नई शिक्षा नीति पर जोर देते हुए कहा कि भारत के कई संगठन और उससे जुड़ा हर व्यक्ति 30 साल से अधिक समय से इस मांग के लिए लड़ रहे हैं। वैभव ने इस वेबिनार के दौरान संदीप भूतोरिया के उस सुझाव का पूरी तरह से समर्थन किया कि जिसमें संदीप भूतोरिया ने कहा था कि देश में बहरे व्यक्ति के लिए एक संसदीय सीट आरक्षित किया जाना चाहिये। जिसका प्रतिनिधित्व करते हुए चुना गया व्यक्ति इन श्रेणी के लोगों की समस्याओं को सरकार एवं दुनिया के सामने "बधिर पर्यावरण-प्रणाली" का प्रतिनिधित्व करते हुए रख सके।

सांकेतिक भाषाएं अपने स्वयं के व्याकरण और शब्दकोश के साथ पूर्ण प्राकृतिक भाषाएं हैं। यद्यपि श्रवण की आबादी देश के सबसे बड़ी संख्या में से एक है, फिर भी भारतीय संविधान में यह औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त सांकेतिक भाषाओं में शामिल नहीं है। 


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